कोहरिपुर: तेंदुए के हमले से 2 साल के बच्चे की मौत

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बिजनौर में मंडावर के पास कोहरिपुर गांव में तेंदुए ने दो साल के मासूम मयंक की जान ले ली। इस दर्दनाक घटना से गांव में मातम पसरा हुआ है।
कोहरिपुर गांव निवासी राजकुमार गांव में ही कुछ जमीन बटाई पर लेकर खेती-बाड़ी करता है, यही उसकी जीविका का साधन है। जमीन के क़रीब ही 100 से 150 मीटर की दूरी पर उसका मकान है।

राजकुमार के दो बच्चे हैं — हर्षित 5 वर्ष और मयंक 2 वर्ष। राजकुमार इन दोनों को घर पर छोड़कर पत्नी के साथ खेत में काम करने चला गया। बच्चे घर पर खेल रहे थे। कुछ देर बाद बच्चे खेलते-खेलते खेत की तरफ आ रहे थे। तभी (सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे) झाड़ियों में छुपे तेंदुए ने घात लगाकर हमला किया और दो वर्षीय मयंक को उठाकर ले गया।

झाड़ियों में छोड़ा लेकिन बचा न मासूम

मयंक को ले जाते हुए हर्षित ने शोर मचा दिया। आस-पास खेतों में काम कर रहे लोग लाठी-डंडे लेकर आ गए। शोर सुनकर तेंदुआ बच्चे को झाड़ियों में छोड़कर भाग गया लेकिन तब तक तेंदुए ने बच्चे को बुरी तरह ज़ख्मी कर दिया था। अस्पताल पहुंचने तक बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चों को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया।

ग्रामीणों का गुस्सा — 28 लोगों की जान ले चुका है यही तेंदुआ!

बच्चे की मृत्यु से गुस्साए लोगों ने मंडावर-बलावली मार्ग पर जाम लगाकर पर्दर्शन किया। उन्होंने कहा कि ये तेंदुआ 28 लोगों की जान ले चुका है। लेकिन सम्बन्धित प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है और लोगों की जान पर निरंतर ख़तरे की तलवार लटकी रहती है। ग्रामीणों ने कहा तेंदुए को पकड़ा जाए। इस पर पुलिस और वन विभाग की टीम ने आश्वासन दिया कि पिंजरा लगाकर तेंदुआ पकड़ा जाएगा। जब जाकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ और जाम खोला गया।

लेकिन सवाल ये?

जब ये तेंदुआ अब तक बकौल ग्रामीणों के 28 लोगों की जान ले चुका है तब प्रशासन ने इतनी लापरवाही क्यों की?
इसे बहुत पहले त्वरित कार्यवाही कर पकड़ लेना चाहिए था। अगर आरम्भ से ही इसे पकड़ने के गंभीर प्रयास किए जाते तो इतनी जाने नहीं जाती।
क्या प्रशासन की नज़र में आम भोले-भाले मासूम, ग़रीब लोगों की जान की कोई क़ीमत नहीं है?
वन विभाग की इस लापरवाही पर ग्रामीणों में अब भी रोष है।

स्रोत

Source: Aaj Tak

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Author: samachar24x7.online

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