10 जून 2025 को पुणे में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बयान दिया – “We are politicians, not saints.” इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी।
उन्होंने कहा कि विपक्ष में केवल बैठकर आलोचना करने से जनहित की समस्याओं का समाधान नहीं होता। राजनीति उन लोगों के लिए है जो काम करके बदलाव लाना चाहते हैं, और यह केवल सरकार का हिस्सा बनकर ही संभव है।
अजित पवार के मुताबिक, विपक्ष में रहने से कुछ उत्पादक नहीं होता। इसलिए उन्होंने और उनके साथियों ने सत्ता में शामिल होकर जनसेवा को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका गुट शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी से अलग है और दोनों गुट स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। किसी भी नेता ने पुनः एकीकरण के लिए शरद पवार से संपर्क नहीं किया है।
2023 में पार्टी विभाजन के बाद एनसीपी दो धड़ों में बंट गई थी। अजित पवार ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी-शिवसेना सरकार में कैबिनेट पद की शपथ ली थी।
फरवरी 2024 में निर्वाचन आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी और पार्टी चिन्ह देने का निर्णय सुनाया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी उन्हें आधिकारिक मान्यता दी।
अजित पवार ने मीडिया में चल रही अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं और न ही किसी प्रकार का विलय प्रस्तावित है।
दूसरी ओर, शरद पवार ने भी संकेत दिया कि उनका गुट स्वतंत्र रूप से काम करता रहेगा और महिलाओं, किसानों और युवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
जनता से सीधे जुड़ाव के लिए अजित गुट ने ‘जनता दरबार’ नामक पहल शुरू की है। इसमें लोग अपनी समस्याएं सीधे नेताओं के सामने रख सकते हैं। यह मॉडल भाजपा शैली का है, लेकिन एनसीपी की पकड़ को मजबूत करने में प्रभावी साबित हो रहा है।
शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल ने इस्तीफा दिया था लेकिन कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया।
पिंपरी चिंचवड नगर निकाय चुनाव में बीजेपी और एनसीपी (अजित गुट) के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आए हैं। यह इलाका 128 सीटों का है जहां दोनों दलों की अच्छी पकड़ है।
एमवीए गठबंधन की स्थिति पर भी असर पड़ा है। अजित और शरद के बीच की दूरी ने गठबंधन को कमजोर कर दिया है। उद्धव ठाकरे ने संकेत दिए हैं कि मनसे को गठबंधन में जोड़ा जा सकता है।
अजित पवार ने विधानसभा में 59 में से 41 सीटें जीतकर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। इससे स्पष्ट है कि उनके गुट की राजनीतिक पकड़ काफी प्रभावी है।
जहां अजित पवार का सत्ता की ओर झुकाव उनके समर्थकों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है, वहीं पार्टी विभाजन, गठबंधन अस्थिरता और मीडिया अफवाहें उनके लिए प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।
Source News: Deccan Herald – Ajit Pawar: We are not saints
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Author: samachar24x7.online
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