मिल्कीपुर उपचुनाव- भाजपा मिल्कीपुर को भी कुन्दरकी की तरह जीतना चाहती हैं।

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5 फरवरी को मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न हो गया। शाम 5 बजे तक लगभग 65.25% मतदान होने का अनुमान है। अंतिम प्रतिशत देर रात तक आने की संभावना है, जब सभी मतदान केंद्रों से डेटा एकत्र कर लिया जाएगा।इस बीच, समाजवादी पार्टी ने चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। पार्टी ने दावा किया है कि मतदान प्रक्रिया में भारी धांधली हुई और प्रशासन ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। समाजवादी पार्टी का आरोप है कि पुलिस प्रशासन और चुनाव कर्मियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों का समर्थन किया, जबकि समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान करने वालों को डराया धमकाया गया।समाजवादी पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कई स्थानों पर बस्ता तक लगाने नहीं दिया, उनके एजेंटों को मतदान केंद्रों के अंदर जाने से रोका गया और लगभग 250 मतदान केंद्रों पर फर्जी वोटिंग कराई गई। पार्टी ने यह भी दावा किया कि उनके मतदाताओं को धमकाया गया और ऐसा माहौल बनाया गया जिससे वे समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान न कर सकें। क्या भारतीय जनता पार्टी कुन्दरकी विधान सभा को जिस तरह धान्धली करके जीता था उसी तरह मिल्कीपुर विधान सभा भी जीताना चाहती है?

फ़ैज़ाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए विशेष महत्व रखती है। इस सीट की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को अयोध्या संसदीय क्षेत्र में अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था।समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने यह सीट जीतकर भाजपा को करारी शिकस्त दी थी, जो पार्टी के लिए एक बड़ा झटका था। यह हार तब और भी चौंकाने वाली रही जब 2024 में भाजपा सरकार द्वारा अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। राम मंदिर आंदोलन भाजपा की राजनीतिक यात्रा का एक प्रमुख आधार रहा है, और इसी मुद्दे ने पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बावजूद इसके, अयोध्या से संबंधित इस लोकसभा सीट पर हार ने भाजपा को गहरी चिंता में डाल दिया।इसी परिप्रेक्ष्य में मिल्कीपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। पार्टी इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती है और अपनी खोई हुई पकड़ को दोबारा मजबूत करने की रणनीति बना रही है।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच है। समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद यादव के पुत्र अजीत प्रसाद को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने चंद्रभानु पासवान को प्रत्याशी बनाया है।लगभग एक महीने तक चले चुनाव प्रचार और आरोप-प्रत्यारोप के बाद 5 फरवरी को यहां मतदान हुआ। समाजवादी पार्टी ने मतदान में धांधली के आरोप लगाए और चुनाव आयोग से करीब 20 शिकायतें दर्ज कराईं।

फैज़ाबाद लोकसभा क्षेत्र के सांसद अवधेश प्रसाद यादव ने भी अनियमितताओं के आरोप लगाए।उन्होंने कहा कि सुबह से ही पुलिस प्रशासन और चुनाव कर्मी भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे। लगभग 250 बूथ ऐसे हैं, जहां फर्जी मतदान कराया गया।मैंने ऑबजरवर को लगभग 200 कॉल किए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला, कोई कार्रवाई नहीं हुई।”समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अजीत प्रसाद ने भी पुलिस प्रशासन पर पक्षपाती रवैये का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुबह से ही हमारे एजेंट्स को मतदान केंद्र में जाने नहीं दिया गया, हमारे बस्तो को पुलिस प्रशासन और कुछ असामाजिक तत्वों ने हटा दिया गया, हमारे वोटर्स पर सुबह से ही दबाव बनाया गया और भय का वातावरण तैयार किया गया।”

“समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से दो वीडियो अपलोड किए, एक वीडियो में राम भवन पाण्डे नामक एक वोटर कह रहे हैं कि उन्होंने छह वोट डाले हैं भारतीय जनता पार्टी के पक्ष, मतदान कर्मचारी उनका सहयोग कर रहे हैं। उनके दूसरे ट्वीट के वीडियो में एसएसपी को मतदाताओं के आईकार्ड चेक करते हुए देखा गया हैं।उन्होंने कहा कि ये चुनाव नियमों के विरुद्ध है, पुलिस प्रशासन मतदाताओं के आईकार्ड चेक नहीं कर सकता है।समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किये गये एक वीडियो में मिल्कीपुर के एस एच औ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता को धमका रहा है, और भद्दी भद्दी गालियां दे रहा हैं।इस सब के बावजूद भी समाजवादी पार्टी का कहना है कि हमें अपने वोटर्स (पीडीए) पर पूरा विश्वास है कि दमन के बाद भी उन्होंने हमारे पक्ष में वोट किया हैं। और हम विधान सभा जीत रहे है। केन्द्र व राज्य सरकार के दबाव में चुनाव आयोग, पुलिस प्रशासन व मतदान कर्मचारीय ने जिस तरह पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया है, निन्दनीय व लोकतंत्र के लिये घातक हैं।

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