एग्ज़िट पोल पैसे कमाने का धंधा।

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पिछले एक महीने से चुनावी सरगर्मियों और आरोप-प्रत्यारोप के बीच, 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल यही बना रहा कि कौन-सी पार्टी कितनी सीटें जीतेगी और किसकी सरकार बनेगी?5 फरवरी की शाम को ही विभिन्न सर्वेक्षण कंपनियों और मीडिया हाउसों ने एग्जिट पोल जारी करने शुरू कर दिए। हालाँकि, देशभर में कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किए, लेकिन मुख्य रूप से 10-11 प्रमुख सर्वेक्षण कंपनियों के अनुमानों को ज्यादा विश्वसनीय माना जा रहा है।इनमें से अधिकतर कंपनियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता में वापसी और उसे पूर्ण बहुमत मिलने का अनुमान लगाया, जबकि करीब तीन सर्वेक्षण एजेंसियों ने आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार बनने की भविष्यवाणी की।विप्रिसाईड ने आप को 46-52,माइंडब्रिंक ने 44-49 और मेटरिज़ 32- 37 सीटस देकर आप आदमी पार्टी की सरकार बनने की सम्भवना बरक़रार रखी हैं।

अब सभी की निगाहें मतगणना के दिन पर टिकी हैं, जब यह साफ़ होगा कि एग्जिट पोल्स के अनुमान कितने सटीक साबित होते हैं और दिल्ली की जनता ने किसे अपना जनादेश दिया है।

पिछले एक दशक में, एग्जिट पोल्स की सटीकता पर सवाल उठते रहे हैं। कई बार ये अनुमान सही साबित हुए हैं, तो कई मौकों पर ये वास्तविक परिणामों से भिन्न रहे हैं।

उद्धाहरण 2024 का ले लेते हैं,लगभग सभी सर्वे कम्पनियां NDA की आसानी से सत्ता में वापसी दिखा रही थी, और अधिकंश ने मोदी जी को 400 उसके पार सीटस कीभाविष्यवाणी की थी । लेकिन जब परिणाम आये तब भाजपा 240 सीटस तक सीमित रही जोड़ तोड़ करके वे सरकार बना पाये , तब प्रश्न उठा क्या यह सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिये क्या गया जिससे NDA के पक्ष में माहौल बन जाया। इतना ही नही एग्ज़िट पोल आने से परिणाम आने तक शेयर बजार में जमकर मुनाफ़ा कमाया गया लगभग 36000 करोड़ का मुनाफा हुआ। जिसे एग्ज़िट पोल से जोड़कर देखा गया । परिणाम आने पर शेयर मार्किट गिरी। जिससे निवेशको को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद 2024 में हरियाणा विधान सभा चुनाव में भी एग्ज़िट पोल असफल रहे। कांग्रेस को भारी बहुमत से जीता हुआ बताया गया अंततः बीजे पी ने सरकार बनाई। महाराष्ट्र में भी एग्जिट पोल सटीक नही रहे। इस से अनुमान लगाया जा सकता है कि एग्ज़िट पोल अब बिजिनेस बन गयेहैं। मर्किट में नाजाने किस किस नाम से कम्पनियां आ गई है। और जब पुरानी कम्पनीयों की साख़ ख़राब हुई तब उन्होंने नये नाम से सर्वे कम्पनियां मार्किट में उतार दी।

यह बात जग जाहिर है। कुच्छ कम्पनियां राजनीतिक पार्टियों के इशारे पर काम करती है। उन्हें सही गलत से कुच्छ लेना देना नहीं होता है। वे धरातल के सत्य को नजर अंदाज करके, दिये गये एजेन्डे पर काम करती हैं। जिससे मतदाता, बाज़ार व समान्य जनमानस प्रभावित होता है और यह इसके बदले में मोटा पैसा लेती है। या सत्ता से निकटता हासिल करके अपने हित साधती हैं।

सत्तारूढ़ दल अक्सर एग्जिट पोल्स का उपयोग अपनी सफलता को प्रदर्शित करने और विपक्षी दलों के मनोबल को प्रभावित करने के लिए करते हैं। इसके अलावा, एग्जिट पोल्स के अनुमानों का शेयर बाजार पर भी प्रभाव पड़ता है। जब एग्जिट पोल्स सत्तारूढ़ दल की जीत का संकेत देते हैं, तो बाजार में सकारात्मक रुझान देखने को मिलता है, जबकि विपरीत अनुमानों से बाजार में गिरावट आ सकती

2 thoughts on “एग्ज़िट पोल पैसे कमाने का धंधा।”

  1. ये सब भी माहौल बनाने और एजेंडा चलाने की परिपाटी है। पैसा तो बना ही रहे है मीडिया हाउस।

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