कोलकाता/प्रयागराज: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसे ‘मृत्युकुंभ’ करार देते हुए प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक और धार्मिक समुदायों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
महाकुंभ पर ममता बनर्जी के आरोप
राज्य विधानसभा में बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि महाकुंभ अब ‘मृत्युकुंभ’ बन गया है, जहां अमीरों और वीआईपी लोगों को विशेष सुविधाएं मिल रही हैं, जबकि गरीबों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मेले में मरने वालों की वास्तविक संख्या को छिपाया जा रहा है और प्रशासनिक लापरवाही के कारण आम श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
“महाकुंभ में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन गरीब श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। वीआईपी लोगों के लिए महंगे कैंप बनाए गए हैं, जबकि आम लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं,” ममता बनर्जी ने कहा।
बीजेपी और संत समाज ने जताई नाराज़गी
ममता बनर्जी के इस बयान पर भाजपा और संत समाज ने कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी नेताओं ने इसे हिंदू धर्म और महाकुंभ की पवित्रता का अपमान बताया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “महाकुंभ हमारी सनातन संस्कृति की आत्मा है। ममता बनर्जी का बयान अस्वीकार्य है। उन्हें इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।”
वहीं, संत समाज ने भी इस बयान पर गहरी नाराजगी जताई है और इसे हिंदू समुदाय की आस्था पर हमला बताया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक संत ने कहा, “महाकुंभ कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र है। ममता बनर्जी को सनातन धर्म के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।”
ममता बनर्जी ने दी सफाई
बयान पर बढ़ते विवाद के बीच ममता बनर्जी ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद महाकुंभ के धार्मिक महत्व को कम करना नहीं था, बल्कि आयोजन में प्रशासनिक कमियों को उजागर करना था।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी धर्म का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है और गरीबों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज
ममता बनर्जी के इस बयान ने राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर विपक्षी दल महाकुंभ की व्यवस्थाओं की आलोचना कर रहे हैं, वहीं भाजपा इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर मुद्दा बना रही है।
अब देखना होगा कि यह विवाद आगे कितना बढ़ता है और क्या ममता बनर्जी अपने बयान पर कोई और स्पष्टीकरण देती हैं।