सैयद सालार मेले पर रोक के बाद सियासी घमासान

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  1. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए बहराइच स्थित सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल लगने वाले जेठ मेले (उर्स) को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है। जिला प्रशासन के इस फैसले से धार्मिक संगठनों में नाराज़गी और आम लोगों में मायूसी है।

हर वर्ष 15 मई से 15 जून तक आयोजित होने वाले इस मेले में देश-विदेश से करीब 15 लाख जायरीन शामिल होते हैं। खास बात यह है कि इसमें हर धर्म, वर्ग और संप्रदाय के लोग आस्था के साथ शिरकत करते हैं। मगर इस बार यह आयोजन भी संभल में ‘नेजा मेला’ की तरह सियासी और साम्प्रदायिक टकराव की भेंट चढ़ता नज़र आ रहा है।

प्रशासन की ओर से स्पष्ट आदेश तो नहीं आया, मगर जो रिपोर्टें सामने आई हैं, उनके मुताबिक हाल के घटनाक्रमों – पहलगाम आतंकी हमला, वक्फ बोर्ड संशोधन और संभल हिंसा – की वजह से माहौल तनावपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में शांति व्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए मेला अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, अभी तक इस पर कोई स्थायी रोक घोषित नहीं की गई है। अब देखना होगा कि दरगाह कमेटी इस फैसले को चुनौती देने के लिए न्यायालय का रुख करती है या नहीं।

सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने बताया कि कमेटी ने 15 अप्रैल को अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने नगर पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, पालिका अधिकारी और पंचायत अधिकारी से रिपोर्ट ली। सभी ने वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए उर्स मेला को अनुमति न देने की सलाह दी।

यह मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, ऐतिहासिक भी रहा है। लेकिन कुछ हिंदूवादी संगठन इसे “आक्रांता का महिमामंडन” कहकर विरोध करते हैं। उनका कहना है कि मेला स्थल सूर्यकुंड नामक प्राचीन हिंदू स्थल है और गाजी को आक्रांता बताते हैं, वहीं महाराजा सुहेलदेव को वीर मानते हैं।

20 मार्च को बहराइच आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “आक्रांता का महिमामंडन देशद्रोह की नींव है।” उसके बाद से ही प्रशासन ने सख्ती दिखाई।

विपक्ष और कुछ सामाजिक संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। बीजेपी सरकार पर आरोप लगे हैं कि वह हिंदू-मुस्लिम राजनीति के जरिए जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से हटा रही है।

संभल में ‘नेजा मेला’ को भी इसी साल प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। दोनों आयोजनों की रोक ने अल्पसंख्यक समाज में असंतोष बढ़ाया है।

निष्कर्ष: यह मामला केवल एक मेला तक सीमित नहीं, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द, धार्मिक स्वतंत्रता, और सियासी माहौल को दर्शाता है। आने वाले समय में अदालत और जनता का रुख अहम रहेगा।

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2 thoughts on “सैयद सालार मेले पर रोक के बाद सियासी घमासान”

  1. सभी मुस्लिम आयोजन जो शांतिपूर्ण तरीके से होते आ रहे हैं, उनको रोककर असंतोष पैदा करना कहाँ तक उचित है।

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