पटना: आखिर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को नीतीश के आगे झुकना पड़ा, चुनाव तो उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन क्या मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे?
‘बिहार है तैयार, फिर NDA सरकार’ – बीजेपी का नया नारा
इस कार्यक्रम में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और बिहार के बड़े चेहरे मौजूद रहे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा सहित बीजेपी और जेडीयू के कई वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद थे।
बीजेपी ने इस कार्यक्रम में उन नेताओं को भी शामिल कर लिया जो पहले नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी कर चुके थे। इससे यह संदेश गया कि बीजेपी के अंदर अब नीतीश के नाम पर आम सहमति बन चुकी है।
➡ “बिहार है तैयार, फिर NDA सरकार”
बिहार बीजेपी को मिला नया अध्यक्ष
चुनावी समीकरण साधने के लिए, चुनाव से पहले संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए दिलीप जायसवाल को बिहार बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जायसवाल की नियुक्ति से पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी।
बिहार विधानसभा का गणित क्या कहता है?
- एनडीए: बीजेपी – 80 विधायक, जेडीयू – 45 विधायक, HAM – 4 विधायक
- विपक्ष: आरजेडी – 77 विधायक, कांग्रेस – 19 विधायक, CPI (ML) – 11 विधायक, अन्य – 19 विधायक
कैबिनेट विस्तार – जेडीयू और सहयोगियों को झटका?
हाल ही में नीतीश सरकार ने कैबिनेट का विस्तार किया, लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों को मंत्री पद नहीं मिला।
सिर्फ 7 नए मंत्रियों ने शपथ ली और सभी बीजेपी के कोटे से आए:
- कृष्ण कुमार मंटू (अमनौर, छपरा)
- विजय मंडल (सिकटी, अररिया)
- राजू सिंह (साहेबगंज)
- संजय सारावगी (दरभंगा)
- जीवेश मिश्रा (जाले)
- सुनील कुमार (बिहारशरीफ)
- मोती लाल प्रसाद (रीगा)
क्या दोबारा सत्ता में लौटेगा NDA?
बिहार की राजनीति में इस बार मुकाबला दिलचस्प रहेगा।
- एनडीए जहां विकास कार्यों और गठबंधन की मजबूती पर भरोसा कर रहा है,
- वहीं विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
तेजस्वी यादव खुलकर कह रहे हैं कि नीतीश अब थक चुके हैं और उनसे बिहार नहीं संभल रहा।
तेजस्वी जमीनी स्तर पर जमकर मेहनत कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने भी कृष्णा अलावर के नेतृत्व में अपनी युवा ब्रिगेड को मैदान में उतार दिया है।
बड़े सवाल:
- क्या एंटी-इनकंबेंसी का असर इस बार दिखेगा?
- क्या बिहार में ध्रुवीकरण की राजनीति होगी?
- क्या जातिगत समीकरण फिर से अहम भूमिका निभाएंगे?