दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए गए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के उम्मीदवार भले ही चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी के वोटबैंक को तोड़कर भाजपा की जीत में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की।आप को 13 सीटों पर अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान हुआ, जहां कांग्रेस के उम्मीदवारों ने आप के उम्मीदवारों के हार के अंतर से अधिक वोट हासिल किए। यदि आम आदमी पार्टी इन 13 सीटों को अपनी जीती हुई 22 सीटों में जोड़ दे, तब कुल 35 सीटें होतीं, जो बहुमत के करीब होतीं।
भाजपा की इस सफलता का श्रेय उनके सटीक चुनाव प्रबंधन, जातिगत समीकरणों की समझ, और सभी वर्गों तक पहुंच बनाने की रणनीति को दिया जा रहा है।
पूर्व के दो चुनावों की भाँति कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में कोई भी सीट जीतने में असफल रही। हालांकि, उनका वोट प्रतिशत 2.7% बढ़ा, जैसा की अनुमान था की अगर कांग्रेस पहले की अपेक्षा मामूली सुधार भी अपने कोर वोटर्स में करती है। तब आप पार्टी का नुक़सान होना निश्चित है। ऐसा ही हुआ,कांग्रेस ने मुस्लिम व दलित वोटो में सेंधमारी की और पहले के मुकाबले अपनी स्थिति में मामूली सुधार किया।जिससे आप को 13 सीटों पर अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान हुआ, जहां कांग्रेस के उम्मीदवारों ने आप के उम्मीदवारों के हार के अंतर से अधिक वोट हासिल किए। यदि आम आदमी पार्टी इन 13 सीटों को अपनी जीती हुई 22 सीटों में जोड़ दे, तब कुल 35 सीटें होतीं, जो बहुमत के करीब होतीं। अगर चुनाव पूर्व कांग्रेस व आप में गठबंधन हो जाता तब यह नुक़सान नहीं होता बल्कि चुनाव में गठबंधन का बज़ बन जाता, और चुनाव ज्यादा मजबूती से लड़ता हुआ प्रतित होता जिससे आम वोटर्स प्रभावित होता, अपेक्षाकृत बेहतर परिणाम आने की सम्भावना होती ।इसलिए, कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने का निर्णय आप के लिए हानिकारक साबित हुआ।
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह लचर स्थिति में आ गया। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, दुर्गेश पाठक जैसे शीर्ष नेता हार गए। उनकी हार में कांग्रेस की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
नई दिल्ली सीट:
प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4,009 वोटों से हराया, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने 4,568 वोट हासिल किए। इससे साफ है कि कांग्रेस के वोट कटने से केजरीवाल की हार हुई।
जंगपुरा सीट:
पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को तरविंदर सिंह मारवाह (BJP) ने 675 वोटों से हराया, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार फ़रहाद सूरी को 7,350 वोट मिले।
ग्रेटर कैलाश सीट:
AAP के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज को भाजपा की शिखा राय ने 3,149 वोटों से हराया, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार गर्वित सिंघवी को 6,711 वोट मिले।
मालवीय नगर सीट:
AAP के पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती को भाजपा प्रत्याशी से 1,976 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जितेंद्र कोचर को 6,500 वोट मिले।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा, जहां उसके कई दिग्गज नेता हार गए। खास बात यह रही कि 12 से 13 सीटों पर AAP की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम था, जिससे यह साफ हो गया कि कांग्रेस के वोटों ने AAP को सत्ता से बाहर करने में बड़ी भूमिका निभाई।
कांग्रेस द्वारा आप को अप्रत्यक्ष रूप से हरायी गई 13 सीट्स।

इन आंकड़ों से साफ है कि कांग्रेस के उम्मीदवार भले ही चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी के वोटबैंक को तोड़कर भाजपा की जीत में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की। भाजपा दिल्ली में सरकार बना रही हैं, इस जीत से उनके शीर्ष नेतृत्व से लेकर समान्य कार्यकर्ता तक में जोश व आत्म विश्वास बढ़ेगा। और राष्ट्रीय स्तर पर भी लाभ मिलेगा। हालाकि इलेक्शन कमिशन व प्रशासन की भूमिका पर पूरे चुनाव में सवाल उठाये जाते रहे। और इन पर भाजपा के लिए काम करने के आरोप लगाये जाते रहे।इस हार से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस व आप दोनो पर असर पड़ेगा। व भवष्यिकी राजनीति प्रभावित होगी।
Bohut accha likha hai aap ne
Thanks