कांग्रेस को दलित व मुस्लिम का सहारा ! (दिल्ली विधान सभा चुनाव)

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दिल्ली विधान सभा में चुनाव के लिए प्रचार जोर शोर से हो रहा है। सभी पार्टियाँ अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रही हैं। चुनाव मुख्य रूप से चिर-परिचित पार्टियों के बीच है (आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस) आम आदमी पार्टी 2014,15 और 2020 के चुनाव जीत चुकी है और सत्ता पर काबिज़ है। बीजेपी की केंद्र में सरकार है और वे हर समय चुनाव के मोड में रहने वाली पार्टी है। चुनाव प्रबंधन में बीजेपी का जवाब नहीं है। कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी हैI हालाकि जमीन पर उनका ढांचा दोनों विरोधी पार्टियों की अपेक्षा कमजोर है। लेकिन फिर भी कांग्रेस का अपना वोट बैंक है, हालाकि पिछली दो विधानसभा चुनाव में उनके वोट प्रतिशत में गिरावट आयी है। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर 99 सीटें जीतने से उनका आत्मविश्वास बड़ा है।

दिल्ली में कांग्रेस भी कड़ी मेहनत कर रही है। और राजनीतिक समीकरण साधने के लिए अपने चुनाव घोषणा पत्र किये गये वादों को लेकर उत्साहित है। कांग्रेस अपने कोर वोट बैंक को वापस लाने का प्रयास कर रही है। एक और जहां वो मुसलमानों को रीझा रही दूसरी और दलित वोटों को पाले में लाने के लिए बहुत से योजनाओं का ऐलान किया है। खुलकर दलित कार्ड खेलते हुए, उन्हें चारधाम की यात्रा का वादा किया है। चार धाम की यात्रा का वादा आप पार्टी ने भी किया है लेकिन कांग्रेस विशेष कर दलितों पर फोकस कर के चारधाम यात्रा का प्रचार कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने कहा है कि वो बोध धार्मिक स्थलों की यात्रा भी करायेगी। अब इशारा समझ जा सकता है। बड़ी तादाद में दलित ही बोध धर्म से संबंध रखता है। इसी प्रकार कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल विधान सभा छेत्रों में अपने पुराने कांग्रेसी मुसलमानों को या फिर उनके परिवार से संबंधित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। मुसलमानों के कल्याण के लिए योजनाए लाने का वादा किया है।

दिल्ली में 16% दलित और 12% मुस्लिम वोट हैं ये दोनों मिलकर 28% बनते हैं। ये एक बड़ा अनुपात हैI इसका बड़ा हिस्सा पिछले दो चुनाव से आम आदमी पार्टी के पक्ष मे जा रहा हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि वे इन दोनो जाती व धर्म के वोटर्स को लुभाकर पुन: अपने खैमे में ला सकती हैं। किसी दौर में ये उसके कोर वोटर थे और उसकी नैय्या पार लगाते थे। दिल्ली में 10% ब्राह्मण मतदाता हैं जो कभी कांग्रेस का होता था,अब उसका बड़ा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में जाता है फिर भी उनमें से भी कुच्छ कांग्रेस के साथ जुड़े हुए हैं। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में गरीब और मध्यम वर्ग को लुभाने के कई वादे किए हैं। 500 रुपये में गैस सिलेंडर, महिलाओं को 2500 रुपये महीना, बेरोजगार युवाओं को 8500 रुपये महीना, 25 लाख रुपये की मेडिकल पॉलिसी आदि। इन सबके जरिए कांग्रेस दलितों, मुसलमानों, गरीबों और मध्यम वर्ग को साध के सत्ता हासिल करना चाहती है।कांग्रेस अपने प्रयासों में कितनी सफल होती है ये तो परिणाम आने पर पता चलेगा।

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