फिलिस्तीन और इजराइल के बीच 15 महीने तक चले युद्ध के बाद शांति समझौता लागू हो गया है। जिससे दोनों देशों और पूरी दुनिया के शांतिप्रिय लोगों ने राहत महसूस की है। समझौते पर अभी भी संशय बना हुआ है कि यह पूरी तरह लागू होगा या नहीं। दोनों देशों के शांतिप्रिय लोग डरे हुए हैं। अब जब गाजा के लोग अपने उजड़े हुए घरों में वापस लौटकर अपनी दुनिया बसाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एक विवादित प्रस्ताव आया है कि गाजा की आबादी को किसी दूसरे देश में शिफ्ट कर दिया जाए, जिसका कड़ा विरोध हुआ, और खबर आ रही है कि फ्रांस ने खुले तौर पर कहा कि यह अमानवीय और अव्यवहारिक है क्योंकि गाजा के लोगों को अपनी जगह पर रहने का मौलिक अधिकार है।

दुनिया के कई दूसरे देश इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। अब जब इतने बड़े नरसंहार के बाद गाजा फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है तो यह एक तरह की साजिश है। क्योंकि जब यहां के मूल निवासी चले जाएंगे। तब इजराइल का गाजा और वेस्ट बैंक पर स्थायी कब्जा हो जाएगा। जबकि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस इजराइल का फिलिस्तीन के बड़े हिस्से पर कब्जे को अवैध मानता है। इसका फैसला पहले ही आ चुका है। लेकिन इजरायल से इसे कौन खाली करवा सकता है, क्योंकि इजरायल अमेरिका की छत्रछाया में रहता है और यह जगजाहिर है कि अमेरिका पूरी दुनिया पर धौंस जमाता है। गाजा के निवासी अपने पूर्वजों की जगह नहीं छोड़ना चाहेंगे। वे सालों से इस जगह के लिए लड़ रहे हैं। वे निर्वासित क्यों होना चाहेंगे? विकल्प के तौर पर इंडोनेशिया के सामने एक प्रस्ताव भी पेश किया गया है कि गाजा की आबादी को इंडोनेशिया में बसाया जा सकता है। लेकिन इंडोनेशिया के विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया हैंI और कहा कि हम गाजा की आबादी को कहीं और शिफ्ट करने के खिलाफ हैं।