इजराइल-हमास शांति समझौता, किसकी जीत? किसकी हार?

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इजराइल ने हमास के साथ 16 महीने तक युद्ध लड़ा और आखिरकार शांति समझौते पर पहुंचा। लंबे इंतजार के बाद युद्ध स्थल से एक अच्छी खबर आई। अब सवाल यह उठता है कि इस युद्ध से किसे क्या मिला और युद्ध का नतीजा क्या रहा? अगर समझौता करना ही था तो दोनों पक्ष पहले ही कर सकते थे। गाजा में हजारों बेगुनाह लोग मारे गए और उनके घर, बाजार, स्कूल, अस्पताल तबाह कर दिए गए।

अगर इजराइल के नजरिए से देखा जाए तो यह समझौता उनके हक में नहीं लगता। इजराइल ने फिलिस्तीन पर 85 हजार टन बम गिराए, 50 हजार से ज्यादा मिसाइलें दागीं। इन हमलों में गाजा की 70 फीसदी से ज्यादा इमारतें तबाह हो गईं। 18 हजार बच्चों समेत 46788 नागरिक मारे गए। इजराइल को करीब 6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। सवाल यह है कि इजरायल हमास को खत्म क्यों नहीं कर सका और अपने बंदी नागरिकों को क्यों नहीं छुड़ा सका, अपने बंदी नागरिकों को छुड़ाने के लिए उसे हमास जैसे कमजोर और छोटे समूह के साथ समझौता करना पड़ा।

इजराइल जैसे मजबूत देश की छवि धूमिल हुई। उसे उन लोगों के सामने झुकना पड़ा जिन्हें वह आतंकवादी कहता था। जबकि अमेरिका उसके समर्थन में था। उसने उन्हें खत्म करने की कसम खाई थी। और उसे उन ही की शर्तों के आगे झुकना पड़ा।

कई इस्लामिक देशों में जश्न मनाया जा रहा है ,लोग कह रहे हैं, इस्माइल हनिया, हसन नसरुल्लाह और याह्या शिनवार के साथ हजारों शहीदों की शहादत सार्थक साबित हुई। कि इजराइल को झुकना पड़ा, बड़ा सवाल यह है कि अगर समझौता करना ही था तो 15 महीने बाद क्यों? इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी के बाद क्यों?

हजारों लोगों की हत्या और लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद करने के बाद उन्होंने समझौता क्यों किया? गाजा में 70% बुनियादी ढांचा नष्ट हो चुका है। करीब 160000 करोड़ का नुकसान हुआ है।

समझौते के मुख्य बिंदु हैं कि समझौते के पहले चरण में इजरायली सेना पहले दिन से ही गाजा छोड़ देगी और रोजाना 500 ट्रकों में खाने-पीने की सामग्री गाजा पहुंचाई जाएगी, हमास रोजाना एक इजरायली कैदी को रिहा करेगा, जिसके बदले में इजरायल रोजाना 50 हमास कैदियों को रिहा करेगा। फरवरी के पहले हफ्ते में दूसरे चरण में युद्ध विराम को जारी रखने पर विचार किया जाएगा। तीसरे और अंतिम चरण में इजरायल के हमले के दौरान नष्ट हुई इमारतों के पुनर्निर्माण पर चर्चा होगी। इनका निर्माण 3 से 5 साल के बीच करना होगा।

3 thoughts on “इजराइल-हमास शांति समझौता, किसकी जीत? किसकी हार?”

  1. नुकसान तो सिर्फ इंसानियत का ही हुआ है।
    बहुत अच्छा लिखा।

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    • फि़लिस्तीनी का जो नुकसान पिछले 70 सालों में हुआ है उसके मुक़ाबले यह नुक़सान कुछ भी नहीं!
      लेकिन जो नुक़सान इज़राइल का हुआ है वह पिछले 100 सालों में नहीं हुआ था!
      अब इज़राइल फिलीस्तीनियों की तरफ़ देखने से पहले सौ बार सोचेगा

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