नई दिल्ली, 9 फरवरी 2025 – दिल्ली विधान सभा चुनावो में केजरीवाल की हार क्या हुई उन पर चौतरफ़ा हमले आरम्भ हो गये, विशेषकर उनके पुराने सहयोगी ज्यादा मुखर नजर आ रहे हैं, उन पर कटाक्ष कर रहें हैं।आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व AAP नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि “यह केजरीवाल के अंत की शुरुआत है” और पार्टी की हार के लिए सीधे तौर पर केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया।
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने सत्ता में रहते हुए पारदर्शिता की बजाय भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और पार्टी को एक व्यक्ति-केंद्रित संगठन बना दिया
उन्होंने केजरीवाल के 45 करोड़ रुपये के बंगले के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जो पार्टी आम आदमी के लिए बनी थी, उसके नेता अब आलीशान जीवन जी रहे हैं। लोकपाल हटाने का आरोप लगाते हुए ,भूषण ने कहा कि AAP ने पार्टी में जवाबदेही खत्म कर दी और आंतरिक लोकपाल को हटा दिया गया। उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल अब आम जनता से कट चुके हैं और यही कारण है कि दिल्ली में AAP को करारी हार का सामना करना पड़ा।क्या AAP का भविष्य खतरे में है?प्रशांत भूषण का मानना है कि AAP अब अपने सिद्धांतों से भटक चुकी है और इसकी वजह से पार्टी धीरे-धीरे खत्म हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की जनता अब विकल्प तलाश रही है और यहीं वजह है कि बीजेपी को बड़ी जीत मिली है।
प्रशांत भूषण के अलावा अन्ना हज़ारे और कुमार विश्वास ने भी केजरीवाल की आलोचना की। अन्ना हजारे ने कहा की भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे केजरीवाल पर हावी हो गये है। इतने महंगे बंगले में रहने की किया जरूरत थी। में 90 वर्ष का हूँ में भी अपना आलिशान मकान बना सकता था लेकिन जो मज़ा जनता की सेवा में हैं वे विलासता पूर्ण जीवन में नहीं है। कुमार विश्वास ने भी नाम न लेकर घमडीं शासन व शासक कहा और कहा कि इनका अंत होना अवश्यक था। आम आदमी पार्टी की स्थापना में प्रशांत भूषण इनके पिता शांती भूषण,योगेन्द्र यादव, कुमार विश्वास और आशुतोष कुमार आदि का महत्वपूर्ण योगदान था । धीरे-धीरे यह सब आम आदमी पार्टी को छोड़ते चले गये जिसके लिए मुख्यता केजरीवाल को ही जिम्मेदार माना गया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 वर्षों के बाद सत्ता में वापसी करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है।जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा।इस चुनाव में आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह लचर स्थिति में आ गया। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, दुर्गेश पाठक जैसे शीर्ष नेता हार गए।
Main Puri tarah आपके राय से सहमत हूँ, confidence और overconfidence का farq दिखाई de गया।
Sabko apni baat Kahne ka haq hona chahiye.