महाकुम्भ भगदड़- क्या 1500 लोग लापता हुए? झूठ या सच !

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क्या महाकुंभ मेले में सरकारी आंकड़ों से ज़्यादा मौतें हुई हैं? क्या सरकार असली आंकड़े छिपा रही है? क्या लापता श्रद्धालुओं की संख्या 1500 के आसपास है? या फिर ये सब सरकार को बदनाम करने की साज़िश है। भगदड़ की घटना के बाद ऐसे कई सवाल उठे रहे हैं!

किसी भी व्यक्ति की मृत्यु एक बड़ी घटना होती है, लेकिन मरने वाला तो चला जाता है, पीछे रह जाते हैं उसके परिजन, जो समय की थपेड़ों को झेलने के लिए मजबूर होते हैं। 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना ने कई ऐसे प्रश्न खड़े कर दिए हैं, जिनके उत्तर अभी तक नहीं मिल पाए हैं।इस घटना को लेकर कुछ सनसनीखेज खबरें सामने आ रही हैं। मरने वालों की सरकारी संख्या वास्तविक संख्या से कम बताई जा रही है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, जब पत्रकारों की टीम मोतीलाल नेहरू अस्पताल पहुंची, तब वहां 24 अज्ञात शव रखे थे, जबकि 25 शवों की पहचान हो चुकी थी। इसके विपरीत, सरकार केवल 30 मौतों की पुष्टि कर रही है। इसका अर्थ है कि मौतों के आंकड़े छुपाए जा रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार, अब तक विभिन्न राज्यों में 41 शव पहुंच चुके हैं, जो सरकारी आंकड़े से अधिक हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि क्या इस भगदड़ के बाद 1500 लोग लापता हो गए हैं? दैनिक भास्कर के रिपोर्टर के अनुसार, गुरुवार दोपहर 12 बजे तक विभिन्न डिजिटल केंद्रों खोया पाया पर 1500 से अधिक लोगों ने अपने परिजनों के लापता होने की सूचना दी थी। यदि यह सच है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है।

घटना के बाद लालिता देवी, सवित्री देवी सहित बहुत से लोग अपने परिजनों की तस्वीरें लेकर खोया-पाया केंद्र और पुलिस थानों के चक्कर लगाते हुए देखे गए। यह भी सत्य है कि प्रशासन सतर्क नहीं था और घटना के बाद भी इसे हल्के में लिया गया। बल्कि, एक महिला अधिकारी ने तो इसे मामूली घटना तक बता दिया।

शंकराचार्य का बड़ा दावा-

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे कह रहे हैं कि किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें बताया कि छह स्थानों पर भगदड़ की घटनाएं हुई थीं। हालांकि, उन्होंने उस अधिकारी का नाम उजागर नहीं किया।

अखिलेश यादव सरकार से नाराज-

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव इस घटना को लेकर सरकार से बेहद नाराज हैं। उन्होंने यह मुद्दा संसद में उठाने की कोशिश की। बजट सत्र के दौरान सपा सांसदों ने इस मुद्दे पर हंगामा किया और बजट भाषण का बहिष्कार भी किया।अखिलेश यादव ने कहा, “जब मौतों के सही आंकड़े ही नहीं बताए जा रहे, तो हम बजट के आंकड़ों का क्या करें? जब इतने ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जब आप पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बता सकते हैं, तो मरने वालों का सही आंकड़ा क्यों नहीं बता सकते हो ? जब आप एक कुंभ मेले का आयोजन सही ढंग से नहीं कर सकते, तो देश की अर्थव्यवस्था क्या संभालेंगे?”उन्होंने आगे कहा, “हमने पहले ही कहा था कि कुंभ की व्यवस्थाएं सेना के हवाले कर दी जाएं।” अखिलेश यादव ने इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की भी मांग की थी। विपक्ष लगातार योगी सरकार को कुंभ मेले की अव्यवस्था को लेकर घेर रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या लापता लोगों की सही संख्या सामने आ पाती है या नहीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ घटना के तीन दिन बाद महा कुम्भ पहुँचे, विजय किरन आनन्द जैसे अधिकारीयों से मिलकर घटना पर चर्चा की। मुख्यमंत्री संतो से भी मिले और कहा कुच्छ लोग षड्यंत्र करके महाकुम्भ और सनातन को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।

2 thoughts on “महाकुम्भ भगदड़- क्या 1500 लोग लापता हुए? झूठ या सच !”

  1. सरकार अपनी असफलताओं को छुपाने का प्रयास कर रही है । PR for POWER बस सरकार को यही एक काम अच्छे से आता है।

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