संभल में नेज़ा मेले पर विवाद, प्रशासन ने लगाई रोक

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संभल में सैकड़ों साल पुरानी नेज़ा मेले की परंपरा विवादों में घिर गई। प्रशासन ने इसे विदेशी आक्रमणकारी से जोड़ा और आयोजन पर रोक लगा दी। जानें पूरा मामला।

संभल में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब हर वर्ष लगने वाले नेज़ा मेले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने इस वर्ष सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाने से मना कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि जिसकी याद में यह नेज़ा आयोजित किया जाता है, वह एक आक्रमणकारी थे, इसलिए उनके सम्मान में कोई मेला नहीं लगेगा। प्रशासन ने उन्हें देशद्रोही भी बताया

सैकड़ों साल पुरानी परंपरा पर विवाद

संभल में हर साल होली के बाद मंगलवार से शुरू होने वाला नेज़ा मेला इस बार संकट में आ गया है। यह परंपरा सैयद सालार मसूद गाज़ी की याद में मनाई जाती है। इसे उनका सालाना उर्स भी कहा जाता है। मेले की शुरुआत मोहल्ला चमन सराय से निकलने वाले जुलूस से होती है, जो शहर के विभिन्न मार्गों से होकर शहर कोतवाली के सामने नेज़ा का ध्वज (जिसे ढाल भी कहते हैं) लगाकर नेज़े की शुरुआत की जाती है। इसके बाद शहर के कई इलाकों में ढाल गाढ़ी जाती है। अगले मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को शहर के विभिन्न इलाकों में मेले लगते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल होते हैं

संभल नेज़ा कमेटी ने मेले की तिथियां घोषित की

  • 18 मार्च: ढाल की रस्म
  • 25 मार्च: सूरा नगला शाहबाज़पुर
  • 26 मार्च: शहर संभल
  • 27 मार्च: बादल गुम्बद

लेकिन अब पुलिस प्रशासन ने साफ तौर पर नेज़ा मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन ने कहा कि किसी भी आक्रमणकारी की याद में मेला नहीं लगेगा, और अगर कोई आयोजन करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने नेज़ा आयोजन करने वालों को नोटिस भी जारी कर दिया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि नेज़े की कोई भी रस्म नहीं की जाएअन्यथा आयोजकों और शामिल होने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी

नेज़ा कमेटी ने परंपरा का हवाला दिया

शहर नेज़ा कमेटी ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है और इसे पुरानी परंपरा बताया है। कमेटी का कहना है कि यह त्योहार सदियों से मनाया जाता रहा है, और इसे रोकना सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए सही नहीं होगा। नेज़ा मनाने वाले लोगों के साथ प्रशासन की यह नाइंसाफी है

इस बीच, हिंदू संगठनों का एक वर्ग इसे विदेशी आक्रमणकारी का उत्सव मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि सैयद सालार मसूद गाज़ी की लड़ाई बुराई के खिलाफ थी

क्या कोर्ट पहुंचेगी नेज़ा कमेटी?

अब सवाल यह उठता है कि क्या नेज़ा कमेटी अदालत का रुख करेगी? और अगर ऐसा होता है तो कोर्ट इस मामले में क्या फैसला देगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद कितना आगे बढ़ेगा या प्रशासन इसे शांतिपूर्वक सुलझाने में सफल होगा

Source:

[स्थानीय प्रतिनिधि, Samachar24x7.online] व ZEE News Network

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