🔍 भारत की उड़ानों पर संकट!
भारत में एविएशन इंडस्ट्री की तेज़ उड़ान के बीच अब एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। NITI Aayog की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक भारत की कुल विमानन क्षमता का 16% हिस्सा यानी लगभग 133 विमान ग्राउंडेड हैं। इस रिपोर्ट में कई तकनीकी कमियों, खराब रखरखाव व्यवस्था (MRO) और इंजन फेल्योर को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
🧰 भारत बनाम दुबई: ज़मीन से आसमान तक फर्क
एक अनुभवी तकनीशियन अभिराम सिंह, जो अब दुबई की एमिरेट्स एयरलाइन में कार्यरत हैं, ने ThePrint को बताया:
भारत में ज़मीन पर केवल एक बार चेक होता है, जबकि दुबई में हर विमान के लिए 3 से 4 बार चेक अनिवार्य है। भारत में इंजीनियर के समय पर आने की कोई गारंटी नहीं।
📉 इंडिगो और गो एयर सबसे ज़्यादा प्रभावित
- Go Airlines ने FY2024 में अपनी लगभग आधी फ्लीट ग्राउंड कर दी थी।
- IndiGo ने 30 जनवरी 2025 तक 60 से 70 विमान ग्राउंड किए थे।
इससे भारत की एविएशन सेवा और यात्री सुविधाओं पर बड़ा असर पड़ा है।
🔧 MRO उद्योग की कमजोर कड़ियाँ
भारत में MRO (Maintenance, Repair, and Overhaul) सेक्टर वर्षों से समस्याग्रस्त रहा है:
- सप्लाई चेन बाधाएं
- इंजन की कमी और तकनीकी असफलताएं
- प्रशिक्षित तकनीशियनों की कमी
- विदेशी कंपनियों पर निर्भरता
🔗 पढ़ें: एयर इंडिया AI-171 क्रैश: 204 मौतें और सवालों का तूफ़ान (samachar24x7.online की चर्चित ख़बर)
📈 भारत का MRO भविष्य
NITI Aayog की रिपोर्ट के मुताबिक:
- भारत 2021 में 1.7 अरब डॉलर के MRO सेक्टर से 2031 तक 4 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है।
- CAGR (सालाना वृद्धि दर) 8.9% आंकी गई है।
- 2040 तक 90% भारतीय MRO आवश्यकताएं भारत में ही पूरी होंगी।
🔄 मेंटेनेंस कैसे होता है?
भारत में चार प्रमुख MRO सेगमेंट हैं:
- लाइन मेंटेनेंस: उड़ान के समय सीमित चेकिंग।
- कंपोनेंट मेंटेनेंस: इंजन, लैंडिंग गियर जैसे हिस्सों का रखरखाव।
- एयरफ्रेम हैवी मेंटेनेंस: 30 दिन तक विमान सेवा से हटता है।
- इंजन मेंटेनेंस: हर 3-4 महीनों में ज़रूरी।
12-15% तक की राजस्व हिस्सेदारी मेंटेनेंस पर खर्च होती है।
🇮🇳 भारत के MRO प्लेयर
मुख्य कंपनियाँ जो भारत की MRO रीढ़ हैं:
- Air India Engineering Services Ltd.
- Max MRO Pvt. Ltd.
- Air Works India (Engineering) Pvt. Ltd.
- Taj Air
- Deccan Charters Ltd.
- Bird ExecuJet
- Indamer Aviation Pvt. Ltd.
- GMR Aero Technic Ltd.
🔁 बाहरी निर्भरता बनाम आत्मनिर्भर भारत
वर्तमान में अधिकांश इंजन और हैवी मेंटेनेंस कार्य भारत के बाहर होते हैं, जिससे लागत और विलंब दोनों बढ़ते हैं। सरकार की योजना है कि ये सेवाएं देश में ही सुलभ हों।
🌍 वैश्विक तुलना और सुरक्षा
UAE, अमेरिका और यूरोप में विमानन सुरक्षा मानक भारत से कहीं ज़्यादा कड़े हैं। भारत की DGCA अब इन्हें अपनाने की दिशा में कार्य कर रही है।
हालिया AI-171 हादसा इन मानकों की कमी का बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है।
📊 आंकड़ों में भारत की चुनौती
पॉइंट | विवरण |
---|---|
ग्राउंडेड विमान | 133 (मार्च 2025 तक) |
प्रमुख प्रभावित एयरलाइन | Go Airlines, IndiGo |
MRO सेक्टर वैल्यू | $1.7B (2021) → $4B (2031) |
CAGR | 8.9% |
🛫 आगे की राह
- सरकार को MRO सेक्टर में निवेश और नीतिगत समर्थन बढ़ाना होगा।
- DGCA को मानकों को और सख्त बनाना होगा।
- तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना ज़रूरी है।
📢 पाठकों से सवाल:
✈️ क्या आप भारतीय विमानों में यात्रा करते समय खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं?
🗣️ अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें!
🔗 samachar24x7.online की चर्चित खबरें
नीति आयोग रिपोर्ट: भारत के 16% विमान ग्राउंडेड
एअर इंडिया हादसा: 204 की मौत, पूर्व CM सवार
रवि शास्त्री बोले: कोहली को फिर कप्तान बना देता
हम संत नहीं, राजनेता हैं: अजित पवार का बड़ा बयान
बिहार NDA गठबंधन में सीट बंटवारे की जंग
🔗 स्रोत:
- मूल रिपोर्ट: The Print