फिलिस्तीन विवाद- ट्रंप की ग़ाज़ा पट्टी पर क़ब्ज़े की योजना।

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ट्रंप ने 4 फ़रवरी बुधवार को व्हाईट हाऊस में बेन्जमिन नैतन्याहु के सामने एक बयान दिया जो अंत्तराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का कारण बन गया। उन्होंने कहा कि ” अमेरिका ग़ाज़ा पट्टी पर क़ब्ज़ा कर ले” और फिलिस्तीन के निवासियों को गाजा पट्टी के बाहर बसा दे I उन्होंने इस क्षेत्र को अमेरिकी नियंत्रण में लाने और वहां के फिलिस्तीनी नागरिकों को पड़ोसी देशों में बसाने की बात कही है।ट्रंप गाजा को एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने की बात कर रहे हैं, जिसे “मिडिल ईस्ट का रिवेरा” कहा जाएगा। इस योजना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। विश्व के बहुत से देशो व संग्ठनो ने इसका विरोध किया है।

हमास ने कड़ा विरोध किया। हमास ने ट्रंप की इस योजना को “गाजा पर जबरन कब्जे की कोशिश” करार दिया है। हमास संगठन का कहना है कि यह योजना न केवल फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि यह मध्य पूर्व को और अधिक अस्थिर बना सकती है।मिस्र ने कड़ा रुख़ अपनाया। मिस्र ने ट्रंप के प्रस्ताव के खिलाफ अरब लीग की आपात बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। मिस्र की सरकार ने साफ कहा है कि वह गाजा के फिलिस्तीनियों को जबरन अपने देश में शरण नहीं देगी।

अन्य अरब देश-मिस्र के अलावा सऊदी अरब, तुर्की और जॉर्डन जैसे देश भी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। अरब लीग के कई सदस्य देशों ने इसे “फिलिस्तीनी स्वायत्तता के खिलाफ साजिश” बताया है। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने फिलिस्तीनियों को गाजा से निकले बिना पुनर्नर्माण करने की अवश्यकता पर जोर दिया। अमेरिका के सहयोगी सऊदी अरब ने ट्रंप की इस योजना पर तीखी प्रतिक्रिया दी, उन्होंने कहा कि हम फिलिस्तिन के स्वतंत्र देश के लिए, दृण और अटल संकल्प रखते हैं। गाजा की भूमि को कब्जा करना, इसराइलियों की बस्तियां बसाना व फिलिस्तीनियों को विस्थापित करने जैसे किसी भी विचार को अस्वीकार करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया आयरलैंड की प्रधानमंत्री,चीन, न्यूजीलैंड और जर्मनी के फॉरेन मिनिस्टर तथा क्रेमलिन के प्रवक्ता ने भी द्वि-राज्य समाधान की के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने इस योजना को “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया है।उनका कहना है कि किसी भी देश को अन्य देश के नागरिका को जबरन विस्थापित करने का अधिकार नहीं है।

ट्रंप ने गाजा पट्टी के लिए जो प्रस्ताव दिया है, उसमें कुछ निम्न मुख्य बिंदु शामिल हैं:

1.गाजा पर अमेरिकी नियंत्रण – ट्रंप का मानना है कि गाजा को अमेरिकी प्रशासन के तहत लाया जाए, जिससे क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सके।

2.फिलिस्तीनियों का पुनर्वास – उनकी योजना के अनुसार, गाजा में रहने वाले करीब 20 लाख लोगों को मिस्र और जॉर्डन जैसे पड़ोसी देशों में बसाया जाएगा।

3.गाजा का पुनर्निर्माण – ट्रंप गाजा को एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने की बात कर रहे हैं, जिसे “मिडिल ईस्ट का रिवेरा” कहा जा रहा है।

हालांकि, यह प्रस्ताव फिलिस्तीनी नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद चौंकाने वाला रहा है। फिलिस्तीन नागरिक किसी भी कीमत पर अपनी मातृ भूमि छोड़ने को तैयार नहीं है। इसके लिए उन्होंने बहुत बलिदान (कुर्बानियां) दी हैं।ट्रंप कि इस योजना को उनके सहयोगी और विरोधियों दोनों ने नकार दिया?

इजराइल ने फिलिस्तीन पर 85 हजार टन बम गिराए, 50 हजार से ज्यादा मिसाइलें दागीं। इन हमलों में गाजा की 70 फीसदी से ज्यादा इमारतें तबाह हो गईं।18 हजार बच्चों समेत 46788 नागरिक मारे गए। इजराइल को करीब 6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। सवाल यह है कि इजरायल हमास को खत्म क्यों नहीं कर सका और अपने बंदी नागरिकों को क्यों नहीं छुड़ा सका, अपने बंदी नागरिकों को छुड़ाने के लिए उसे हमास जैसे कमजोर और छोटे समूह के साथ समझौता करना पड़ा। फिलिस्तीनी अवाम का कहना है, फिलिस्तीनी अपनी जमीन के लिए मरते रहे और अपनों का बलिदान देते रहे। उनके घर-मकान, कारोबार, स्कूल, अस्पताल और इबादत गाहे आदि उनकी आँखो के सामने तबाह होते रहे। जब इतना सब कुछ उनके साथ हो गया। गाजा 90% तबाह हो गया तो वह क्यों कर अपनी जगह को छोड़ना चाहेंगे?

ट्रंप की गाजा पट्टी पर कब्जे और फिलिस्तीनी जनता के पुनर्वास की योजना को व्यापक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हमास से लेकर मिस्र, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अरब देशों तक, सभी इसे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ाने वाला कदम मान रहे हैं। इस प्रस्ताव का क्रियान्वयन न केवल मुश्किल है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ भी जाता है। यह योजना मध्य पूर्व को और अधिक अस्थिर बना सकती है।अभी जो युद्ध विराम से शांती बनी है, यह भंग हो सकती है।

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