सैयद सालार दरगाह-धार्मिक अनुष्ठान की छूट, मेला नहीं

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उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हर वर्ष लगने वाला ऐतिहासिक ‘जेठ मेला’, जो कि सैयद सालार मसूद गाज़ी की दरगाह पर आयोजित होता है, इस बार नहीं लगेगा।हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दरगाह पर धार्मिक अनुष्ठान, चादरपोशी और श्रद्धालुओं के दर्शन जारी रहेंगे। यानी धार्मिक आस्था का पालन प्रभावित नहीं होगा, केवल बड़े मेले का आयोजन रोका गया है।

कानून-व्यवस्था को बताया मुख्य कारण

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 18 मई 2025 को सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट कर दिया कि इस वर्ष मेले की अनुमति नहीं दी जाएगी।बहराइच जिला प्रशासन ने अदालत को बताया कि मेला क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों की आशंका है और यह कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकता है। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दरगाह पर धार्मिक अनुष्ठान, चादरपोशी और श्रद्धालुओं के दर्शन जारी रहेंगे। यानी धार्मिक आस्था का पालन प्रभावित नहीं होगा, केवल बड़े मेले का आयोजन रोका गया है।

धार्मिक अनुष्ठानों पर नहीं है कोई प्रतिबंध

हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दरगाह पर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, चादरपोशी और श्रद्धालुओं के दर्शन जारी रहेंगे। यानी धार्मिक आस्था का पालन प्रभावित नहीं होगा, केवल बड़े मेले का आयोजन रोका गया है।

याचिकाकर्ताओं से मांगा गया स्पष्टीकरण

इस मामले में कई संगठनों और व्यक्तियों ने मेले पर रोक के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उनकी कानूनी पात्रता (locus standi) पर सवाल उठाया है और उन्हें अगली सुनवाई में इस पर जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई 19 मई को होगी।

सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि यह आदेश धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं, बल्कि सुरक्षा का मामला है। वहीं, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने मेले पर रोक को “ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जागरूकता की दिशा में कदम” बताया है। इसके विपरीत विपक्ष ने इस फैसले को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कहा है।

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Sources: Times of India, New Indian Express

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