**इलाहाबाद हाईकोर्ट** में आज शाही जामा मस्जिद, संभल की रंगाई-पुताई (पेंटिंग) विवाद को लेकर सुनवाई हुई। ASI से अनुमति न मिलने के कारण मस्जिद प्रबंधन समिति ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उसे मस्जिद की सफेदी की अनुमति प्रदान की जाए। 28 फरवरी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अदालती कार्यवाही में जमा की गई रिपोर्ट पर मस्जिद समिति की आपत्तियों को दर्ज कर लिया गया। अदालत ने ASI को इन आपत्तियों पर 10 मार्च तक जवाब दाखिल करने का समय दिया। अब देखने वाली बात होगी कि **ASI इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है!**
1927 के समझौते पर सवाल
हिंदू पक्ष के वकील हरी शंकर जैन ने इस समझौते पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया। उन्होंने अदालत से कहा कि 1927 में मस्जिद समिति और सरकार के बीच हुए समझौते को अब मान्य नहीं माना जा सकता। उनका तर्क था कि 1958 में लागू हुए प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम के बाद यह समझौता अमान्य हो गया है।
मस्जिद में बदलाव को लेकर आपत्ति
हरी शंकर जैन, जो पहले से ही संभल कोर्ट में इसी मसले पर एक मामला लड़ रहे हैं, ने अदालत में दावा किया कि 1526 में एक मंदिर को तोड़कर यह मस्जिद बनाई गई थी। उन्होंने अपने हलफनामे में मस्जिद प्रबंधन समिति पर आरोप लगाया कि बिना ASI की अनुमति के बिना मस्जिद की इमारत में कई बदलाव किए गए हैं। उनका दावा था कि दीवारों और स्तंभों को इस तरह रंगा गया है जिससे हिंदू चिह्न और प्रतीक मिटाए जा सकें।
मस्जिद के नाम पर विवाद
सुनवाई के दौरान मस्जिद के असली नाम को लेकर भी बहस हुई। 1927 के समझौते में इसे ‘जुमा मस्जिद’ कहा गया है, जबकि हिंदू पक्ष इसे ‘जामी मस्जिद’ कहता है। वहीं, मस्जिद समिति का दावा है कि सही नाम ‘जामा मस्जिद’ है।
कोर्ट ने मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ कहा
हिंदू पक्ष के वकील ‘विवादित ढांचा‘ शब्द लिखवाने में सफल रहे। जब अदालत दिनभर की कार्यवाही का आदेश लिखवा रही थी, तब हरी शंकर जैन ने अनुरोध किया कि मस्जिद को ‘विवादित ढांचा‘ कहा जाए। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और स्टेनोग्राफर को आदेश दिया कि आदेश में ‘मस्जिद’ की जगह ‘विवादित ढांचा‘ शब्द लिखा जाए।
10 मार्च की सुनवाई पर सबकी नजर
अब मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी, जिसमें ASI मस्जिद समिति की आपत्तियों पर अपना जवाब पेश करेगा। दोनों पक्ष 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अगर मस्जिद समिति अदालत से रंगाई-पुताई की अनुमति लेने में सफल हो जाती है, तो यह उसके लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी।