सुप्रीम कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद की पुताई पर हस्तक्षेप से किया इनकार

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नई दिल्ली, 1 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने आज (1 अप्रैल) इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को संभल जामा मस्जिद की बाहरी दीवारों की सफेदी (पुताई) करने का निर्देश दिया गया था।

क्या है मामला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि चंदौसी (संभल जिला) स्थित शाही जामा मस्जिद की बाहरी दीवारों की सफेदी की जाए। इस मस्जिद को लेकर एक मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर बनाई गई थी।

याचिकाकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल की ओर से पेश अधिवक्ता वरुण सिन्हा ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से ASI को मस्जिद की दीवारों की सफेदी करने का निर्देश दिया है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा:

“हम वर्तमान याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। याचिका खारिज की जाती है।”

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

मार्च 2025 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI को निर्देश दिया था कि वह 1927 में मस्जिद प्रबंधन समिति और ASI के बीच हुए समझौते के अनुसार, एक सप्ताह के भीतर मस्जिद की सफेदी पूरी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं हिस्सों पर सफेदी की जाएगी जहां इसकी आवश्यकता है।

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति को आदेश दिया कि वह सफेदी कार्य के पूरा होने के एक सप्ताह के भीतर ASI को खर्च की भरपाई करे। मस्जिद समिति ने रमज़ान से पहले मस्जिद की सफेदी और सफाई की अनुमति मांगी थी।

संबंधित मुकदमे और विवाद

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक और याचिका लंबित है, जिसे संभल शाही जामा मस्जिद समिति ने दाखिल किया है। यह याचिका ट्रायल कोर्ट के 19 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती देती है, जिसमें एक एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश दिया गया था। यह मुकदमा उस दावे से जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि यह मुगलकालीन मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।

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(Source: LiveLaw.in)

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