महाकुंभ में भगदड़: अव्यवस्थाओं के कारण 30 श्रद्धालुओं की मौत I

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जो नहीं होना चाहिए था वो महाकुंभ हो गया। महाकुंभ 2025 के नाम पर एक बड़ी त्रासदी लिख गईI जिसमें 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई और करीब 30 लोग घायल बताए जा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मरने वालों और घायलो की तादाद और अधिक हो सकती हैं। यह एक बड़ी और दुखद घटना है। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अवसर पर विशेष स्नान की व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने विश्व स्तरीय इंतजाम होने के दावे किए थे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रही। भारी भीड़ के चलते मेला क्षेत्र में भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 30 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है और 30 घायल हैं।

रात 12 बजे से ही संगम क्षेत्र की ओर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा था। प्रशासन ने भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग लगा रखी थी, लेकिन रात 2 बजे के करीब यह व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। भीड़ इतनी अधिक हो गई कि बैरिकेडिंग तोड़कर श्रद्धालु आगे बढ़ने लगे। इस दौरान वहां पहले से स्नान कर रहे और विश्राम कर रहे श्रद्धालु भी दब गए, जिससे दर्जनों लोग घायल हो गए और 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई।

इस महाकुंभ में अव्यवस्थाओं को लेकर पहले भी घटना हो चुकी हैं। कुछ समय पहले गीता प्रेस सहित 250 से अधिक तंबुओं में आग लग गई थी, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ था। प्रशासन द्वारा लगातार चूक की घटनाओं से श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मौनी अमावस्या के दिन इस हादसे ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है।

सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल-

सरकार ने पहले ही दावा किया था कि 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्थाएं की गई हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि प्रबंधन में गंभीर खामियां थीं। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार धार्मिक आयोजन को एक इवेंट की तरह पेश करने में लगी रही और व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया गया।सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,”हम पहले से ही चेतावनी दे रहे थे कि सरकार केवल अपनी ब्रांडिंग करने में लगी है और कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को नज़रअंदाज़ कर रही है। इतनी बड़ी त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।कुंभ मेले को सेना को सौंप दिया जाना चाहिए।” अखिलेश यादव ने आगे कहा कि घायलों को एयर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाए और मृतकों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। सरकार को अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहिए। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है और इसे किसी आयोजन की तरह पेश नहीं किया जाना चाहिए। अब कांग्रेस कैसे पीछे रह सकती है? उन्होंने सरकार पर भी आरोप लगाया। कुप्रबंधन के लिए सरकार जिम्मेदार है। महाकुंभ में पहले दिन से ही कुप्रबंधन देखने को मिला है।

सरकार की प्रतिक्रिया इस घटना के कई घंटे बाद आयीI मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान आया, जिन परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हुई है, उन्हें 25 लाख रुपए दिए जाएंगे तथा घायलों को बेहतर उपचार दिया जाएगा। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। सुबह योगी जी द्वारा किये गए सोशल मीडिया मैसेज को विपक्ष और बहुत से लोगों ने निशाने पर ले लिया। उनके संदेश में था कि अफ़वाहों पर ध्यान न दें। विपक्ष का कहना है? इतनी बड़ी घटना घटी है तो उसमें अफ़वाह क्या है।

इस घटना के लिए वो सभी अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। जिनके कंधों पर मेला प्रबंधन की जिम्मेदारी थी। लेकिन ये अधिकारी औपचारिकता निभाने के लिए मेले में आते रहे, बाकी प्रबंधन कंट्रोल रूम से होता रहा। इनमें मुख्य रूप से मंडलायुक्त विजय विश्वास, काउंटर प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालने वाले एडीजी भानु भास्कर, डीआईजी महाकुंभ मेला वैभव कृष्ण शामिल हैं जिनका कहना है कि अफवाहों की वजह से हालात बिगड़े, ये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते, कहीं न कहीं ये सभी और राज्य सरकार कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं।

सरकार को चाहिए कि वह इसे केवल एक इवेंट के रूप में न देखे, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। इस त्रासदी से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाऐ। मेले में हुड़दंगी प्रवृत्ति के लोगों की पहचान कर उन्हें चेतावनी दी जानी चाहिए। वीआईपी संस्कृति को यथासंभव रोका जाना चाहिए।

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