जिन्हें कुम्भ में आने से रोका वही मददगार बने।

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राजनीति और संकीर्ण मानसिकता समाज को कितना भी बांटने की कोशिश करें, मानवता की भावना उन्हें फिर से एक कर देती हैंI और यही काम प्रयागराज में मुस्लिम लोगों ने महा कुम्भ में आये श्रद्धालुओ की मदद करके कर दिखायाI प्रयागराज में मुस्लिमो द्वारा श्रद्धालुऔ की जो मदद की जा रही है, यह उन लोगों के लिए एक सबक है,जो समाज को विभाजित और खंडित देखना चाहते हैं। कोई भी समाज विभाजन और बिखराव की भावना के साथ नहीं रह सकता, कहीं न कहीं उसे एक-दूसरे के सहयोग की जरूरत होती है।

ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है प्रयागराज महाकुंभ में जो13 जनवरी को आरंभ हुआ और 26 फरवरी को संपन्न होगा। इसके आरंभ होने से पहले ही संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों के बयान आने लगे कि महाकुंभ में मुसलमान प्रवेश न करें। इस बयान का प्रभाव यह हुआ कि कुछ घटनाएँ उन मुसलमानों के साथ घटित हो गईं, जिन्होंने इस तरह की चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया था। इस प्रकार की मानसिकता किसी भी समाज के लिए घातक होती है। ऐसी घटनाओं से राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन समाज में दरार उत्पन्न हो जाती है। हालाँकि, मानवता अभी भी जीवित है। मानवता के उपासकों ने प्रयागराज में जो किया, वह देखने योग्य है।29 जनवरी को जब भगदड़ मची और लोग पैरों तले कुचलने लगे, तब भयभीत लोग सुरक्षित आश्रय की तलाश में इधर-उधर भागने लगे। इन लोगों को आश्रय देने के लिए मुस्लिम समुदाय ने भरपूर प्रयास किया।

प्रयागराज में इन परेशान श्रद्धालुऔ को आश्रय देने के लिए मस्जिदो, मदरसो,दरगाहो व अपने मकानो आदि को खोल दिया गया। विशेष रूप से, सैयद शाह हज़रत अब्दुल जलील की दरगाह में इन श्रद्धालुओं को शरण दी गई और उनके ठहरने की व्यवस्था की गई।कुछ मदरसों में भी इन्हें ठहराया गया। मुस्लिम समुदाय के मोहल्ले नखास कोहना, रोशनबाग, हिम्मतगंज, खुलदाबाद, रानीमंडी, शाहगंज के लोगों ने अपने घरों में श्रद्धालुओं को ठहराया। उन्हें चाय-नाश्ता कराया। खाना खिलाया। इलाहाबाद के चक बहादुरगंज में स्थित दरगाह और मदरसों में श्रद्धालुओं को स्थान दिया गया। यादगार-ए-हुसैन इंटर कॉलेज में भी उनके ठहरने की व्यवस्था की गई। बड़ी मस्जिद वसीउल्लाह के इमाम साहब ने श्रद्धालुओं के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करवाई। मुसलमानों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। मेला क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद सब्जी मंडी मस्जिद, बड़ा ताजिया इमामबाड़ा, हिम्मतगंज दरगाह और चौक मस्जिद में लोगों को ठहराया गया I इस मानवता के कार्य में आफताब अहमद, सईद अशरफ आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोगों के लिए लंगर तथा भोजन की व्यवस्था की।गुडडू भाई ने श्रद्धालुओ को स्टेशन आदि तक पहुंचाने के लिये 20 निशुल्क गाड़ियां लगाई हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि मानवता और भाईचारा अभी भी जिंदा है और कठिन परिस्थितियों में लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे आते हैं। और ऐसी विषम परिस्थितियों में आगे आना भी चाहिए, यही सच्चा धर्म कहलाता है।

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