वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कड़े फैसले ले रहे हैं। चुनावी वादों को पूरा करने के तहत अब उनकी सरकार ने विदेशी नागरिकों और स्थायी निवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि कोई अप्रवासी राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसे गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दोषी साबित होने पर उसे देश से निकाला जा सकता है।
विदेशी छात्रों पर कड़ा रुख
व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी स्टीफन मिलर ने स्पष्ट किया कि किसी को भी नागरिकता या स्थायी निवास पाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “यदि कोई अप्रवासी आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे अमेरिका में रहने नहीं दिया जाएगा।”
यह बयान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र महमूद खलील की गिरफ्तारी के बाद आया। उन पर फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने का आरोप है, जिसे प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना है। हालांकि, एक न्यायाधीश ने अस्थायी रूप से उनकी निर्वासन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कुछ मानवाधिकार संगठन ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय का विरोध कर सकते हैं।
गृह सुरक्षा विभाग ने गिरफ्तारी की पुष्टि की
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग के अनुसार, खलील की गिरफ्तारी से पहले उन पर नज़र रखी जा रही थी। उन्हें हमास से जुड़ी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण पकड़ा गया। प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा बता रहा है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अप्रवासन और सीमा सुरक्षा विभाग की रणनीति
अमेरिकी अप्रवासन और सीमा सुरक्षा विभाग के अनुसार, खलील की गिरफ्तारी सिर्फ एक शुरुआत है। ऐसे मामलों की विस्तृत जांच की जाएगी। ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा है कि जो भी अमेरिका विरोधी गतिविधियों में शामिल होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
प्राकृतिक नागरिकों पर भी सख्ती संभव
ट्रंप समर्थकों का मानना है कि सिर्फ विदेशी छात्र ही नहीं, बल्कि वे लोग जो कानूनी रूप से नागरिक बने हैं, अगर ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उनकी नागरिकता रद्द हो सकती है। ऐसे लोगों को भी निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों पर असर?
अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप प्रशासन भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों के प्रति नरमी बरतेगा? हालांकि, भारतीय नागरिकों के ऐसे मामलों में शामिल होने की संभावना कम है। भारत सरकार इस पर क्या रुख अपनाएगी, यह देखना होगा। आमतौर पर भारत और अमेरिका ऐसे मामलों में मिलकर काम करते हैं, लेकिन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सरकार क्या कदम उठाएगी, यह वक्त बताएगा।
(Times of India, Business Today सहित अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी)
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