ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बयानों से दुनिया में हलचल।

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ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। कड़ाके की ठंड के बीच अमेरिका में उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह थाI लेकिन शपथ लेने के बाद उन्होंने जो भाषण दिया, उसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दीI ट्रंप ने जिस तरह से अमेरिका फर्स्ट की नीति पर काम करने की प्रतिबद्धता दिखाई है और अगर वो ऐसा करते हैं तो इसका वैश्विक असर होने वाला हैI और उनके फैसले कई देशों को प्रभावित कर सकते हैंI ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि अमेरिका को दुनिया की महाशक्ति और सबसे महान देश बनाना हैंI अमेरिका आने वाले समय में हर क्षेत्र में तरक्की करके खुद को दुनिया का अग्रणी देश बनाएगा I

जिस तरह से उन्होंने अपने चुनाव अभियान में अमेरिका फर्स्ट का मुद्दा उठाया है, अगर वे इसे पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू करते हैं, तो अन्य देशों के साथ उनके मतभेद होना स्वाभाविक है। क्योंकि अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ट्रंप अमेरिका में स्वनिर्मित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इसके लिए वे अमेरिका में आयातित उत्पादों पर अधिक शुल्क और कर लगाएंगे, इतना ही नहीं, वे अपने देश से निर्यात किए जाने वाले सामानों पर भी कम कर की मांग कर रहे हैं। उन्होंने भारत के संदर्भ में भी यही बात कही है। इससे उन देशों का आर्थिक संतुलन बिगड़ेगा और उनके देश में महंगाई बढ़ेगी, जिससे अमेरिका के साथ संबंधों में दरार आएगी। इसी तरह, अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत नौकरियों में अमेरिका के मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। विदेशियों के लिए सेवाओं के अवसर कम होंगे, खासकर भारतीय मूल के लोगों या वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को सेवाओं में परेशानी होगी। खासकर आईटी सेक्टर में।

ट्रंप ने शपथ लेते ही मेक्सिको सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि वहां अधिक सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएंगे और कड़ी जांच की जाएगी। कनाडा से लगी सीमा पर भी ऐसा ही किया जाएगा, ताकि अवैध प्रवासियों को रोका जा सके। और कुछ देशों के नागरिक जो वहां अवैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार कर वापस भेजा जाएगा।

ट्रंप ने शपथ लेते ही दुनिया के कई देशों को चिंता में डाल दिया। क्योंकि उनके पहले कार्यकाल में लिए गए कई फैसले विवादास्पद रहे, जिसकी वजह से कई देशों से उनके संबंध खराब हो गए थे। इस बार उन्होंने कहा कि वे पनामा नहर को फिर से अपने नियंत्रण में लेंगे। चीन अमेरिका से अधिक टैक्स इसलिए ले रहा है, क्योंकि पनामा नहर पर चीन का नियंत्रण है। जबकि पनामा के राष्ट्रपति ने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि पनामा पर चीन का कोई नियंत्रण नहीं है। हालांकि अब उन्होंने चीन से संबंध सुधारने की पहल की है और शपथ ग्रहण समारोह में चीन के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है।लेकिन चीन के साथ रिश्ते सुधारना संभव नहीं है क्योंकि ताइवान अमेरिका का समर्थन करता है और ताइवान की वजह से अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार, रक्षा सौदे, रक्षा आविष्कार क्या हर क्षेत्र में महाशक्ति बनने की होड़ रहेगी।

मध्य पूर्व की बात करें तो उन्होंने इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने में सहयोग करने को कहा है और उनके शपथ ग्रहण से पहले ही इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौता हो चुका है। लेकिन उन्होंने सऊदी अरब से अपने तेल के दाम कम करने को कहा है। ईरान के साथ मधुर संबंध रखना असंभव है क्योंकि ईरान हमास, हिजबुल्लाह और हूती जैसे संगठनों का समर्थन करता है जो हमेशा इजरायल से पंगा लेते हैं। ईरान के साथ रिश्ते सुधारने में उनकी कोई खास दिलचस्पी नहीं है लेकिन वे इजरायल के हितों को दांव पर नहीं लगाना चाहेंगे।

अब नाटो या अन्य वैश्विक संस्थाओं की बात करें तो अमेरिका अपने हितों को सर्वोच्च रखेगा। वह यूरोपीय संघ पर अपने व्यापार को बढ़ाने और हथियारों के सौदे के लिए दबाव बनाएगा। जर्मनी, फ्रांस और अन्य देश इस पर आसानी से राजी नहीं होंगे क्योंकि यूरोप खुद आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

ट्रंप ने जब शपथ ली तो लॉस एंजेल्स जल रहा था,लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से हटने का फैसला किया I और विश्व पर्यावरण समस्या के बारे में उनकी कोई स्पष्ट या गंभीर सोच नहीं है। इसलिए, संभावना है कि अन्य देशों के साथ उनके मतभेद जारी रहेंगे।

ट्रंप अपने अप्रत्याशित फैसलों के लिए जाने जाते हैं। वे कब क्या कदम उठाएंगे, यह कहा नहीं जा सकता। क्योंकि उनका पहला कार्यकाल इसका उदाहरण है। दुनिया के कई देश उनके अप्रत्याशित और लापरवाह रवैये से चिंतित हैं।

1 thought on “ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बयानों से दुनिया में हलचल।”

  1. आपने इस चिंताजनक विषय के सभी पहलुओं को कवर किया है। ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना ही अपने आप मे वैश्विक खतरा है। लेकिन आज की दुनिया की सच्चाई यही है।

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