अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: इतिहास, महत्व और इसकी कहानी

Spread the views

 

लेखक: Mohammed Usman Noushahi

महिला दिवस क्यों और कब मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों, समानता, सम्मान और सशक्तिकरण को समाज में बढ़ावा देना है। यह दिन महिलाओं द्वारा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में किए गए योगदान को पहचानने और उन्हें सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, ताकि वे यह महसूस कर सकें कि वे समाज में बराबर की हिस्सेदार हैं।

महिला दिवस के पीछे की कहानी

कैसे हुई इसकी शुरुआत?

महिला दिवस की शुरुआत 20वीं शताब्दी के आरंभ में हुई थी। इसका पहला उल्लेख 1908 में अमेरिका में मिलता है, जब 15,000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क में वेतन वृद्धि, काम के घंटे कम करने और मतदान के अधिकार के लिए प्रदर्शन किया। इस आंदोलन का व्यापक असर हुआ और महिलाओं के अधिकारों की मांग तेज हुई।

1909: पहला महिला दिवस

28 फरवरी 1909 को अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार महिला दिवस मनाया और महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की।

1910: अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्ताव

1910 में, जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा ज़ेटकिन ने कोपेनहेगन में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में महिला दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।

1911: पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन

ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में 1911 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस दौरान लाखों महिलाओं ने समान अधिकारों की मांग की।

1917: 8 मार्च को तय हुआ महिला दिवस

रूस की महिलाओं ने “ब्रेड और पीस” (रोटी और शांति) की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया, जिसने ज़ार शासन को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1975 में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी।

महिला दिवस का महत्व

  • महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता: महिलाओं के समान अधिकारों, शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता की जरूरत को उजागर करता है।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा: महिला-पुरुष समानता को प्रोत्साहित करने और भेदभाव को खत्म करने का संदेश देता है।
  • महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अपने फैसले लेने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है।
  • समाज में महिलाओं के योगदान का सम्मान: राजनीति, विज्ञान, खेल, कला और व्यापार सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को पहचानने का अवसर मिलता है।

2025 की थीम: “Invest in Women: Accelerate Progress”

हर साल संयुक्त राष्ट्र एक नई थीम देता है। 2025 की थीम महिलाओं में निवेश करने और उनके विकास को तेज करने पर केंद्रित है।

समाज सिर्फ 8 मार्च को महिला दिवस मनाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकता। यह दिन महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक आंदोलन है। महिलाओं को सच्चे मन से सम्मान देना और उन्हें हर क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करना ही इस दिन को मनाने का वास्तविक उद्देश्य होना चाहिए।

चर्चित खबरें


आपकी राय?

क्या हमारे समाज में महिलाओं को पूरी तरह से समानता मिल पाई है? कमेंट में अपनी राय जरूर दें!

 

Leave a Comment